शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

कब मिलेगा सम्मान...?

कब मिलेगा सम्मान...
एक बार फिर से हुआ है हॉकी का अपमान...ताक पर रखा गया खिलाड़ियों का सम्मान...लुट गया खिलाडियों का स्वाभिमान...आख़िर कब तक होता रहेगा खिलाड़ियों का अपमान...कब तक लुटती रहेगी यूं ही चैंपियन्स की शान...और कब लौटेगा खिलाड़ियों का सम्मान..ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब का इंतज़ार हम सभी कर रहे है ख़ासकर वो जिन्हे अपने देश से अपने राष्ट्र से प्यार है...हम बात कर रहें है भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के साथ बार बार हो रहे अपमान की... हॉकी टीम के साथ इन दिनो जो घट रहा है उसे किसी भी लिहाज़ से सही नहीं कहा जा सकता, चाहे वो पुरुष हॉकी खिलाड़ी हो या फिर महिला....देश के राष्ट्रीय खेल और खिलाड़ियों के साथ जो कुछ भी हो रहा है उसे क्या समझा जाए, ये आज की बात नहीं है कि हॉकी खिलाड़ियों के साथ इस तरह का बर्ताव किया जा रहा है आखिर कब मिलेगा सम्मान...? कब तक अपमान का घूंट पाकर ताज जीतते रहेंगे खिलाड़ी...आज हर हॉकी खिलाड़ी यही सवाल पूछ रहा है...महिला हॉकी टीम के साथ कुछ दिन पहले जो कुछ हुआ उसे सभी ने देखा और अब ऐसा ही वाकया हुआ है भारतीय पुरुष हॉकी टीम के साथ... यूरोप टूर के लिए अभ्यास में जुटी भारतीय हॉकी टीम को देश से रवाना होना था जिसके लिए उन्हे पुणे से दिल्ली जाना था लेकिन खिलाड़ियों को लाने के लिए बस ही नहीं पहुंची...
सबसे बड़ा सवाल आखिर कब मिलेगा सम्मान भारतीय हॉकी को और हॉकी खिलाड़ियों को...कभी भारतीय महिला हॉकी टीम के पास ट्रांजिट वीज़ा नहीं होता, और उन्हें एयरपोर्ट से वापस लौटना पड़ता है...जब उनसे बात होती है तब खिलाड़ी ये कहते है कि इससे हमारे मनोबल पर कोई फर्क़ नहीं पडेगा...और हमारी खिलाड़ी वाक़ई में क़ाबिले तारीफ़ है रशिया में जाकर चैंपियंस चैलेंज ट्रॉफी जीतकर लौटती है... लेकिन अफसोस है कि जब वो जीतकर वापस लौटती हैं तब उन्हें कोई लेने नहीं जाता...और सभी खिलाड़ी टैक्सी और ऑटो करके ख़ुद ही रवाना होती है...और एक बार फिर वही हुआ...अपमान, लगातार या बार-बार जो कुछ हॉकी खिलाड़ियों के साथ बर्ताव किया जा रहा है...अब ऐसे में ये उम्मीद कैसे लगाई जाए कि भारतीय हॉकी पुराने रुतबे को हासिल कर लेगी...
आखिर अपमान की ये आंधी कब तक चलती रहेगी और ऐसा कब तक होता रहेगा, क्या कोई है जो हॉकी को इंसाफ दिलाने के लिएआवाज़ उठाए, हॉकी का ये हश्र और क्रिकेट पर पैसे की बरसात, दो खेल जिन्हें खेलते तो खिलाड़ी ही है लेकिन इन खिलाड़ियों की तक़दीर बिल्कुल अलग है जो क्रिकेट खेलते हैं उन्हें मिलती है इज़्ज़त...दौलत...शोहरत और जो हॉकी खेलते हैं उन्हें मिलती है ज़िल्लत...मुफ़लिसी... और अपमान....आखिर कब मिलेगा इन खिलाड़ियों को सम्मान...लेकिन उम्मीद यही है कि ये सब कुछ होने पर खिलाड़ियों के मनोबल पर कोई फर्क ना पड़े...जैसा प्रदर्शन महिला टीम ने किया था वैसा ही प्रदर्शन पुरुष टीम भी करे...यही दुआ है...
सिर्फ हॉकी ही नहीं बल्कि दूसरे खेल के खिलाड़ी भी इसी तरह की ज़िल्लत उठाने को मजबूर है सुशील कुमार का नाम आपको याद होगा जिन्होने ओलंपिक में देश के लिए कांस्य पदक जीता था, कुछ दिनो पहले जब वो जर्मनी से कुश्ती ग्रांपी में स्वर्ण पदक जीतकर लौटे तब होना ये था कि कोई अधिकारी उन्हें लेने जाते लेकिन किस्मत देखिए यहां भी एयरपोर्ट कोई नहीं गया और वो ख़ुद ही घर की तरफ़ चल दिए...रेणु गोरा का मामला हाल फिलहाल मीडिया में नया है बॉक्सिंग फेडरेशन ने जांच की बात कही है लेकिन जांच होती है या नहीं और अगर होती है तब किस तरह की कार्रवाई होती है येदेखना होगा...बहरहाल एक बार फिर खिलाड़ियों का अपमान होने पर सवाल उठने लगे है सवाल उठने लगे है अधिकारियों पर... सवाल उठने लगे हैं कार्यप्रणाली पर...सवाल ये भी है कि जिस खेल को सरकार ना पैसा दे पा रही है और ना सुविधाएं और ना कप जीतकर लौटने पर उनका स्वागत कर पा रही है, ऐसे में क्या उम्मीद की जाए...क्या राष्ट्रीय खेल का अपमान देश का अपमान नहीं है...? जो अंधेरा इस वक्त हॉकी पर छा रहा है...जो ग्रहण लगा है उस अंधेरे... उस स्याह रात की सुबह कभी होगी....?

2 टिप्‍पणियां:

  1. हर वस्तु के सरकारी नियंत्रण से यही होगा , पहले तो केवल सरकार थी अब फंड देखकर नेता भी घुस गए . करेला और नीम चढा

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  2. आपकी सवाल उठाने की कोशिश काबिले तारीफ है...बहुत खूब....
    अब बात लेख की....लेख में थोड़ा बिखराव है...शब्दों को समेटने की जरूरत है साथ ही...विचार का एक निश्चित एंगल भी तय करना जरूरी है...बाकी लाजवाब है....

    rgds
    अपर्णा

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